21 नवंबर के कार्यक्रम को स्थानीय कांग्रेस की सियासी हलचल का हुंकार बताया जा रहा, आदिवासी सम्मेलन के माध्यम से यह एक शक्ति प्रदर्शन दिख रहा

सक्ती। 21 नवंबर क्षेत्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की तैयारी जोरों पर है। जहां सक्ती रियासत को एक नया राजा मिला वहीं आदिवासी एकता भी देखने को मिल रही है।
21 नवंबर को क्षेत्र के तुर्री-खैरा गांव में सर्व आदिवासी समाज का वृहद कार्यक्रम है वहीं राजा धर्मेंद्र सिंह के राज्यभिषेक की खुशी में प्रीति भोज का भी आयोजन रखा गया है। इस कार्यक्रम को क्षेत्र के लोग राजनीतिक चश्में से देख रहें हैं। स्थानीय विधायक की मौजूदगी में राज परिवार के सदस्य के अपमान के बाद से ही सियासी हलचल गरमा गई थी वहीं अब राज परिवार को ज़मीनी नेता के रूप में देवेन्द्रनाथ अग्निहोत्री का भी साथ मिल गया है। यहां बताना लाजमी है कि देवेन्द्रनाथ अग्निहोत्री शुरू से ही राज परिवार के राजनीतिक विरोधी रहे थे, मगर वर्तमान कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए और स्थानीय विधायक का लगातार पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से अब उपेक्षित कांग्रेसी एकजुट होते दिख रहें है। जिस तरह से संगठन की बागडोर बदलने महंत समर्थक लगातार पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ चौलेश्वर चंद्राकर का विरोध करते रहे उसी तरह अब स्थानीय राजनीति में पुराने कांग्रेसी कहे जाने वाले लोग डॉ महंत के राजनीति का विरोध करते दिख रहें है। नाम ना लिखने की शर्त पर कुछ लोगों ने यहां तक कह डाला कि डॉ महंत तो सिर्फ पांच परिवार के नेता हैं, और यही पांच परिवार अब इन्हें चुनाव में समर्थन करेंगे। वैसे शुरू से ही डॉ महंत पर आरोप लगते रहें है कि वे कुछ चुनिंदा लोगों से घिरे रहते हैं। बहरहाल हर नेता की अपनी राजनीति सोंच होती है। लेकिन 21 नवंबर के कार्यक्रम की सफलता या असफलता ही दिखायेगी कि आने वाले समय में कांग्रेस की राजनीति किस करवट बैठती है। वैसे अब तक के राजनीतिक हलचल से वर्तमान स्थिति में कांग्रेस का फिर से विधानसभा चुनाव में अपना परचम लहरा पाना तो कठिन दिखता है लेकिन राजनीति में अनिश्चितता बनीं रहती है। वैसे 21 नवंबर को तुर्री खैरा के कार्यक्रम से सक्ती कांग्रेस की नई किताब लिखने की कोशिश की जाएगी अब यह किताब पूर्ण होगी या अधूरी रह कर राजपरिवार के राजनीति को ग्रहण में ही रखेगी अब देखने का विषय है।

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